इस कार्यक्रम को 50 लाख से अधिक लोगों ने देखा और खूब सराहा भी I डॉक्टर कुमार विश्वास ने भगवान राम और राज्य को प्रकृति से जोड़ते हुए बहुत सुंदर प्रस्तुति पेश की । जिसमें बाबा रामदेव विशिष्ट अतिथि थे इस अवसर पर कहा कि भगवान राम आज के समय में प्रासंगिक है भगवान राम की आज के संदर्भ में प्रसंगकिता पर बोलते हुए बाबा राम देव ने कहा कि राम आदिवासी के भी है और वनवासी, ब्राहमण, दलित, वैश्य और शूद्र सभी भारतवासी ही विश्ववासी भी है । उनका जीवन मूल्य शाश्वत है उनकी मर्यादाएं शाश्वत है उनका पिता धर्म शास्वत है राष्ट्र धर्म उनका पिता धर्म राज धर्म, स्त्री धर्म वो सनातन है एकल के द्वारा जो पुरुषार्थ और प्रयास हो रहा है अंतिम व्यक्ति को उठाने का अप्रतिम और सराहनीय प्रयास है। इस सेवा में पूरे विश्व के लोग अपना छोटा छोटा योगदान देकर देश के अंतिम व्यक्ति को उठाने की कोशिश कर रहा है बाबा रामदेव ने एकल के प्रयासों को भुरी भुरी प्रशंसा करते हुए कहा कि एकल के माध्यम से विश्व में सबसे बड़ी सेवा की जा रही है जो अविस्मरणीय है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी जी ने विडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि एकल विद्यालय हमारे देश की एक ऐसे संस्था है जो ग्रामीण एवं आदिवासी परिवारों के बच्चों की सेवा के लिए समर्पित भाव से सेवारत है। समाज के वंचित और शोषित परिवारों की सेवा का जो भाव एकल परिवारों ने जगाया है वह बहुत ही सराहनीय है। एकल अभियान समाज को शिक्षा के साथ ही साथ स्वरोजगार का प्रशिक्षण देकर स्वावलंबन का भी कार्य कर रहा हैI
एकल के राम कार्यक्रम में बोलते हुए डॉक्टर कुमार विश्वास ने कहा कि एकल विश्वास का वैश्विक प्रतिनिधि है करोना काल के बाद एकल के साथ अपना पहला कार्यक्रम भगवान राम पर प्रस्तुत करने पर एकल की प्रशंसा करते हुए डॉक्टर कुमार विश्वास ने कहा कि आज एकल को जनमानस में आस्था और विश्वास का प्रतिनिधि के रूप में जाना जाता है एकल के अथाह प्रयास से लाखों बच्चों को नई दिशा दिखाई है । कुमार विश्वास ने कहा कि करोना काल ने हमें सिखाया कि हमारे जीवन में प्रकृति कितनी बड़ी देन है । विश्व के बड़े से बड़े शासक को अपनी शक्ति पर गुमान था । कोई कहता था मेरे बस दस हजार किलोमीटर तक हमला करने की मिसाइल है लेकिन करोना ने सब महा महाशक्तियों की मिसाइल को फेल कर दिया लेकिन इस आपदा काल में प्रकृति ने हमारी मदद की और अयोध्या एक प्रकृति है रामराज्य प्रकृति से जुड़ा काल है इसलिए हमे हमेशा अपनी प्रकृति से जुड़ाव रखना चाहिए।
एकल पुरुषार्थ का वैश्विक प्रतिनिधि है वह अकेले पुरुषार्थी है जो विश्वभर को चेतना दे सकती है इसलिए सीता का आत्मानुशासन प्रकृति का अनुशासन है और हमें इसी प्रकृति के अनुशासन में रहना सिखाया है आज वैश्विक महामारी के दौर से पूरी दुनिया जूझ रही है साथ ही हमारे विकसित होने के दंभ का अभिमान भी चूर हो चुका है।
भारत की माताओं ने सीता की तरह अपने चरित्र रखते हुए कम से कम साधनों में अपना जीवन चलाया है यही भारत की गौरवशाली संस्कृति का संरचनात्मक उदाहरण समाज को मजबूत बनाता है। माता सीता ने राजमहल में रहने के बावजूद भी जंगलों में कांटो पर पत्थरों के बीच चलना सहस्त्र स्वीकार किया यही प्रेरणा हमारे समाज को मजबूत करती हैं।
माननीय श्री श्याम गुप्त जी-
मित्रों एकल के राम अर्थात राम का हमारा एकल हो गया इसके लिए आप सब को बधाई| राम जी की कृपा से एकल जिस ऊंचाई तक पंहुचा हमें तो बहुत ऊँचा उड़ान करना है एकल आज 1 करोड़ ग्रामवासी परिवारों तक पहुँच चुका है और अभी 1 करोड़ तक पहुँचने की चुनौती बाकी है 20 लाख ग्राम योद्धा, नौजवान एकल के लिए समय दे रहें है लेकिन नगरीय क्षेत्र में 20 लाख दानदाता अभी बनाने की जरूरत बाकी है आइए आज इस कार्यक्रम के माध्यम से हम सब संकल्प करें कि राम में एकल, राम में भारत ये हमारा सपनों का भारत बनेगा
श्री बजरंग बागड़ा (प्रेसिडेंट, केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति, एकल अभियान )-
“आयु के वानप्रस्थ काल में भारत माँ की और समाज की सेवा के अनेक निमित होते है परन्तु मेरे पिछले 8 वर्षो के अनुभव से मैंने ये पूरी तरह से जाना कि एकल से उत्तम और कोई विकल्प नहीं वनवास में राम जी ने जिस प्रकार से वनवासी समुदाय का संगठन नेतृत्त्व किया उसने उन्हें राजा राम से प्रभु राम बनाया और इसी से प्रेरणा लेकर एकल भारत माँ कि सेवा में लगा है आइए देखे कैसे|”
श्री लक्ष्मी नारायण गोयल (चेयरमैन, ट्रस्ट बोर्ड , एकल भारत लोक शिक्षा परिषद् )-
“एकल भारत लोक शिक्षा परिषद् ट्रस्ट बोर्ड के चेयरमैन श्री लक्ष्मी नारायण गोयल जी ने कहा कि एकल अभियान देश में अग्रणी सामाजिक संगठन के रूप में करोड़ों गरीब ग्रामवासियों के शैक्षणिक एवं सामाजिक सशाक्तिकरण के लिए काम कर रही है। जिसमें एक गांव, एक शिक्षक, एक विद्यालय के कल्पना पर इसे संचालित किया जा रहा है। इसमें बहुत बड़ा योगदान उन सभी परिवारों का जो इस ईश्वरीय कार्य में सहयोग करते है और तन मन धन से जुड़े हुए हैंI”